Monday, October 25, 2010

शीशे मे अपना चेहरा देखा तो डर गया

शीशे मे अपना चेहरा देखा तो डर गया
जीने की चाह में क्यूँ इतना मैं मर गया

ऐ ज़िन्दगी अहसास की खुशबू कहाँ गई
तेरी रगों में इतना जहर कैसे भर गया

इक दिन जो मुलाकात हुई अपने आप से
मिलते ही नज़र जाने क्यों चेहरा उतर गया


आँखों की पुतलियों ने फिर फिर किया सवाल
इक आदमी था रहता, अब वो किधर गया

आखिर में शर्मसार हुई ज़िन्दगी की रात
मुज़रिम सा मुँह छिपा के जब अपने घर गया

24 comments:

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  2. 'आँखों की पुतलियों ने फिर फिर किया सवाल
    इक आदमी था रहता, अब वो किधर गया.........'

    कशमकश और अपराधबोध की स्तिथि का सटीक चित्रण ...

    "ख़ुदा से लाख छुपा..खुदाई मिटाने के बाद.....
    आईने में खुद को देखा...ख़ुदा नजर आया.... ...."

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  3. गजल की मौलिकता एवं भावों की गहराई देर तक बांधे रहती है।

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  4. ऐ ज़िन्दगी अहसास की खुशबू कहाँ गई
    तेरी रगों में इतना जहर कैसे भर गया

    Gahre bhaav hain is gazal meion ... gazab ke sher ... daad kabool karen hamaari bhi ...

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  5. सब की यही कहानी है...क्या करें..

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  6. सुन्दर एवं प्रसंशीय कविता .

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  7. Kahin padha tha k best of ur poems will b written in worst tym of ur lyf...sach hi hai shayad

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  8. ऐ ज़िन्दगी अहसास की खुशबू कहाँ गई
    तेरी रगों में इतना जहर कैसे भर गया
    ...bahut gahre bhav bhare hain gazal mein..
    bahut achhi prastuti... likhti rahiyega..
    haardik shubhkaamnayen

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  9. आँखों की पुतलियों ने फिर फिर किया सवाल
    इक आदमी था रहता, अब वो किधर गया

    अच्छी लगी ये पंक्तियां !

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  10. बेहतरीन!

    आप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .

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  11. बहुत बहुत सुंदर - सटीक और सार्थक - नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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  12. ऐ ज़िन्दगी अहसास की खुशबू कहाँ गई
    तेरी रगों में इतना जहर कैसे भर गया
    बेहतरीन

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  13. "ऐ ज़िन्दगी अहसास की खुशबू कहाँ गई
    तेरी रगों में इतना जहर कैसे भर गया
    आखिर में शर्मसार हुई ज़िन्दगी की रात
    मुज़रिम सा मुँह छिपा के जब अपने घर गया

    waaah ,,, bahut khoob
    behtareen ghazal
    har sher jabardast aur asardaar hai
    bahut badhayi
    aabhaar

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  14. namaskaar priyanka ji....
    sail bhai ke thru aapke yaahan aana hua....
    vyarth na hua aana....

    आँखों की पुतलियों ने फिर फिर किया सवाल
    इक आदमी था रहता, अब वो किधर गया

    talaash khatm ho jaldi...

    aapka swaagat hai mere yahaan bhi....

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  15. सीधे और सरल शब्दों से बंधा लय रचना को संवार देता है, फिर आप उसे तकनीकी तौर पर पॉलिश भले ही न करे, वो रस तो देता ही है। और जब पॉलिश भी हो जाती है तो निखार आ जाता है..। यही निखार है और खूबसूरत अंदाज़ भी।

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  16. अच्छा लिखा है। आप अपने लेख से समाज की सेवा करती रहीये और समाज सुधार पर भी अपना जलवा बिखेरये।

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  17. सुन्दर एवं सारगर्भित गजल
    शुभकामनाये

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  18. प्रियंका जी ....आप कुछ लिख नहीं रहीं
    क्या हुआ....बहुत दिन हो गए...

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  19. ऐ ज़िन्दगी अहसास की खुशबू कहाँ गई
    तेरी रगों में इतना जहर कैसे भर गया...very true..

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