tag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post4385726091029076965..comments2023-07-24T04:27:58.787-07:00Comments on पानी की लकीरें: प्राण की रागिनी फिर मुखर हो उठेPriyanka Sonihttp://www.blogger.com/profile/15984049412165820406noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-3540570945798612262011-09-22T00:15:27.269-07:002011-09-22T00:15:27.269-07:00gaagar mein sagar :)gaagar mein sagar :)devanshukashyaphttps://www.blogger.com/profile/14647194147595830518noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-4109803352678625202010-10-20T07:47:40.169-07:002010-10-20T07:47:40.169-07:00सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा ह...सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-4163830002880788952010-10-19T04:17:03.518-07:002010-10-19T04:17:03.518-07:00bahut hi sundar1bahut hi sundar1Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-19767571380999404242010-10-18T21:23:20.461-07:002010-10-18T21:23:20.461-07:00sabdo ko bakhubi se aapne piroya hai, ati sundar.....sabdo ko bakhubi se aapne piroya hai, ati sundar...:) <br />hame to aapse hi seekhna hoga..:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-5560112217097227792010-10-17T02:43:02.947-07:002010-10-17T02:43:02.947-07:00जग उठे फिर प्रणय-दीप की वर्तिका
मेल हो छंद रस-भाव ...जग उठे फिर प्रणय-दीप की वर्तिका<br />मेल हो छंद रस-भाव संगीत का <br />खोल दो प्रेरणा के नए द्वार तुम<br />साधना का पुनः स्वर प्रखर हो उठे<br /><br />अति सुंदर!<br />भावों को शब्दों की माला में बड़ी सुंदरता से गूंथा गया हैइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-10280725466088861172010-10-17T01:52:56.693-07:002010-10-17T01:52:56.693-07:00नवलेखन में छंदबद्ध कविता कम पढ़ने कम पढ़ने को मिलत...नवलेखन में छंदबद्ध कविता कम पढ़ने कम पढ़ने को मिलती है।<br />..सुंदर कविता के लिए बधाई।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-73004362056894921602010-10-17T01:07:32.320-07:002010-10-17T01:07:32.320-07:00प्रियंका जी ,
छंदबद्ध बहुत सुंदर कविता है .....
इस...प्रियंका जी ,<br />छंदबद्ध बहुत सुंदर कविता है .....<br />इस तरह की कवितायेँ अब बहुत कम लिखी जा रही है ....<br />शायद आपके लेखन से फिर वो दौर शुरू हो जाये .....<br />बस वो सैली अपना लीजिये जो आपको सहज लगती है ...<br />या जिसमें आप बेहतर लिख सकते हो .....<br />बधाई ...!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-75246077242599358402010-10-15T12:34:15.625-07:002010-10-15T12:34:15.625-07:00मैं आपके ब्लॉग पर आने से पूर्व सोचता रहा था कि क्य...मैं आपके ब्लॉग पर आने से पूर्व सोचता रहा था कि क्या मुझे जैसा पढना होता है, वो मिलेगा? अमूमन बहुत कम हो पाया है ऐसा, इसलिये दिमाग इस फितुर से बन्धा रहता है। खैर..और क्लिक कर ही दिया। फिर पढा..पढा और पढता चला गया..। इस प्रकार की हिन्दी में रचनायें आज के दौर में मुझे ज्यादा पढने को नहीं मिलती और जब मिलती है तो मैं ऐसे ब्लॉग को छोडता नहीं हूं। शब्द जब गाते हुए से लगे तो रचनायें अक्सर हृदय तक पहुंचती है। और यह भी सम्भव है इसलिये कि आप संगीत से जुडी हैं। (प्रोफाइल में आपने दर्शाया है) समयानुसार मैं अब आता रहूंगा..अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-39453738065300973052010-10-15T06:45:27.984-07:002010-10-15T06:45:27.984-07:00रचना सुन्दर है ... प्रभावशाली ब्लॉग है ... अभी तो ...रचना सुन्दर है ... प्रभावशाली ब्लॉग है ... अभी तो शुरुआत है ... कामना करता हूँ ऐसे ही सुन्दर शब्दों से सजाते रहिये ... आपको अनेक सफलता प्राप्त हो ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-11864358198738405672010-10-15T05:42:32.920-07:002010-10-15T05:42:32.920-07:00खोल दो प्रेरणा के नए द्वार तुम
साधना का पुनः स्वर ...खोल दो प्रेरणा के नए द्वार तुम<br />साधना का पुनः स्वर प्रखर हो उठे<br />सुन्दर, विनीत भाव , अच्छी अभिव्यक्ति। बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-12871267311272759352010-10-15T03:09:59.289-07:002010-10-15T03:09:59.289-07:00जग उठे फिर प्रणय-दीप की वर्तिका
मेल हो छंद रस-भाव ...जग उठे फिर प्रणय-दीप की वर्तिका<br />मेल हो छंद रस-भाव संगीत का <br />खोल दो प्रेरणा के नए द्वार तुम<br />साधना का पुनः स्वर प्रखर हो उठे...<br />बहुत अच्छा सृजन...शुभकामनाएंशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-75478542172697565102010-10-14T23:25:59.205-07:002010-10-14T23:25:59.205-07:00यूँ जगा दो हृदय के स्वरों को प्रिये
प्राण की रागिन...यूँ जगा दो हृदय के स्वरों को प्रिये<br />प्राण की रागिनी फिर मुखर हो उठे <br /><br />vaah bahut hee badiyaa likha hai ..bahut achhe bhavon ke saath shabdon kaa sanyojan bahut sundar..डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-37995575365529709562010-10-14T13:04:59.807-07:002010-10-14T13:04:59.807-07:00bahut sunder bhaav sanjoye hain.... aapne.. bahut ...bahut sunder bhaav sanjoye hain.... aapne.. bahut khoob डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-2781650701520628362010-10-14T05:15:44.421-07:002010-10-14T05:15:44.421-07:00जग उठे फिर प्रणय-दीप की वर्तिका
मेल हो छंद रस-भाव ...जग उठे फिर प्रणय-दीप की वर्तिका<br />मेल हो छंद रस-भाव संगीत का <br />खोल दो प्रेरणा के नए द्वार तुम<br />साधना का पुनः स्वर प्रखर हो उठे<br /><br /><br />बहुत ही मधुर ... आनंद आ गया पढ़ कर ... शब्द संयोजन बेजोड़ है .... भाव लाजवाब ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-84851094018999809072010-10-13T10:34:10.514-07:002010-10-13T10:34:10.514-07:00प्रियंका जी ,
आपकी पूरी रचना ही लयात्मक है। यह पद ...प्रियंका जी ,<br />आपकी पूरी रचना ही लयात्मक है। यह पद बेहद पसंद आया..<br /><br />रस-भरी हो प्रणय कुञ्ज की गायिका <br />मन, हृदय, प्राण निर्झर बनें भाव का <br />राग-सर में विचरने लगे भावना<br />उल्लासित प्रेम की हर लहर हो उठे<br /><br />यूँ जगा दो हृदय के स्वरों को प्रिये<br />प्राण की रागिनी फिर मुखर हो उठे <br /><br /><br />हमारी ओर से ये पुष्प स्वीकार करें ..<br /><br />देह-प्रांगण में स्वप्नों की है अल्पना<br />पल प्रणय के लिए घूमती कल्पना <br />अंग प्रत्यंग में नृत्य-रत धड़कनें ,<br />श्वांस प्रश्वांस उनके अधर हो उठे<br /><br />यूं घुले हैं हृदय के स्वरों में पिया!<br />प्राण के सारे सुर ही मुखर हो उठे।kumar zahidhttps://www.blogger.com/profile/16434201158711856377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-9728191564842156182010-10-13T10:08:27.474-07:002010-10-13T10:08:27.474-07:00प्रियंका जी ,
अपकी रचना में गेयत्व का जो प्रभाव है...प्रियंका जी ,<br />अपकी रचना में गेयत्व का जो प्रभाव है वह संगीत के प्रति आपके समर्पण का प्रमाण है । रचना में ‘रागिनी’ बहुत मुखर है। निस्संदेह आपकी ‘साधना का स्वर प्रखर’ है , <br />हां , <br />राग-सर में विचरने लगी भावना<br />उल्लासित प्रेम की हर लहर हो उठीDr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-86416026295559074562010-10-13T04:47:50.529-07:002010-10-13T04:47:50.529-07:00भाव प्रवण एवं सुन्दर शब्दों से सजी कविता , आभारभाव प्रवण एवं सुन्दर शब्दों से सजी कविता , आभारashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-82395422956815177462010-10-13T03:34:12.406-07:002010-10-13T03:34:12.406-07:00मनोहारी गीत - उच्च स्तरीय प्रस्तुतिमनोहारी गीत - उच्च स्तरीय प्रस्तुतिAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-13268926503382957912010-10-13T00:01:40.017-07:002010-10-13T00:01:40.017-07:00खोल दो प्रेरणा के नए द्वार तुम
साधना का पुनः स्वर ...खोल दो प्रेरणा के नए द्वार तुम<br />साधना का पुनः स्वर प्रखर हो उठे<br /><br />बहुत ही सुन्दर शब्द लिये अनुपम प्रस्तुति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-32842683356332059242010-10-12T09:04:44.668-07:002010-10-12T09:04:44.668-07:00पढ़ी-लिखी कविता!
आशीष
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प्रायश्चितपढ़ी-लिखी कविता!<br />आशीष<br />--<br />प्रायश्चितसूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-5664624124838248872010-10-12T08:12:12.859-07:002010-10-12T08:12:12.859-07:00खोल दो प्रेरणा के नए द्वार तुम
साधना का पुनः स्वर ...खोल दो प्रेरणा के नए द्वार तुम<br />साधना का पुनः स्वर प्रखर हो उठे<br /><br />Bahut Khoob Panktiyaa haiShaivalika Joshihttps://www.blogger.com/profile/02643334614690992704noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-5275944933066696332010-10-12T05:54:35.520-07:002010-10-12T05:54:35.520-07:00गीत के नव स्वरों को नया साज दो
प्रेम के छंद को एक ...गीत के नव स्वरों को नया साज दो<br />प्रेम के छंद को एक अंदाज़ दो <br />दो हमें भाव की व्यंजना तुम वही<br />नेह की मुरलिका फिर सस्वर हो उठे <br /><br />गीत को<br />उस की गति प्रदान करती हुई<br />मनोरम पंक्तियाँ ...<br />अच्छा है .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-15214500701656275722010-10-12T05:00:48.560-07:002010-10-12T05:00:48.560-07:00यूँ जगा दो हृदय के स्वरों को प्रिये
प्राण की रागिन...यूँ जगा दो हृदय के स्वरों को प्रिये<br />प्राण की रागिनी फिर मुखर हो उठे <br />प्रेम की रागिनी भी मुखर होगी.... अभी तो बस आपकी प्रस्तुति ही मुखर हो उठी हैरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-3997304124832213302010-10-12T02:10:39.672-07:002010-10-12T02:10:39.672-07:00यूँ जगा दो हृदय के स्वरों को प्रिये
प्राण की रागिन...यूँ जगा दो हृदय के स्वरों को प्रिये<br />प्राण की रागिनी फिर मुखर हो उठे<br />बहुत ही मधुर प्रस्तुती.... <br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3479671819509529277.post-45557708824539664022010-10-12T02:02:15.821-07:002010-10-12T02:02:15.821-07:00priyanka ji
bahoot hi sunder pranay geet.......priyanka ji<br /><br />bahoot hi sunder pranay geet.......उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.com